कमल-पुष्प
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
कमल हमारा राष्ट्रीय पुष्प
है. कमल का फूल देखने में मनमोहक व अधिकांशतः गुलाबी रंग का अति सुन्दर फूल होता
है. हिन्दी साहित्य में प्रारम्भिक काल से कवि नायक या नायिका के सुन्दर नयनों की,
अधरों की, करों की, पदों की उपमा कमल से देते रहे हैं. भक्तिकाल के कवि सूर और
तुलसी ने भी अपने-अपने आराध्य देव कृष्ण और राम के रूप का वर्णन करते समय कमल की
उपमा का प्रयोग किया है.
उत्तर प्रदेश में काशीपुर
में द्रोणासागर नामक स्थान पर ग्रीष्म काल में कमल-सरोवर का
सौन्दर्य देखते ही बनता है, जब द्रोणासागर में कमल के फूल अपने पूर्ण यौवन के साथ
खिले होते हैं. इस समय मन्दिरों में भगवान की मूर्तियों पर प्रायः कमल के फूल ही
चढ़े हुये देखने को मिलते हैं.
कमल के फूल सुन्दर होने के
साथ-साथ बहुपयोगी भी होते हैं. कमल के फूलों के तने जहाँ कमल ककड़ी के नाम
से जाने जाते हैं वहीं कमल के फल भी खाने में स्वादिष्ट होते हैं. फलों के अन्दर
के बीज कमल गट्टे कहलाते हैं जो पककर काले और भूरे रंग के हो जाते हैं. एक
तरफ कमल गट्टे भगवान शिव की पूजा करते समय शिव-लिंग पर चढ़ाये जाते हैं तो दूसरी
तरफ कमल गट्टों से ही मखाने बनाये जाते हैं.
------------
-----
No comments:
Post a Comment