Tuesday, November 21, 2017



दायरे

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

खिड़की से देखोगे तो
आकाश हो या हो
सागर, छोटा ही लगेगा.
देखना है अगर तुम्हें
आकाश-सा विस्तार.
संकुचित दायरों से
बाहर आ के देखो.

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