हिन्दी साहित्य
Saturday, November 4, 2017
हाइकु
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
तुम आईं तो
खिला गुलाब अभी
मेरी साँसों में.
चंद्र-मुख
सीपी में मोती सम
देखा है मैंने.
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