Tuesday, April 3, 2018


स्नेहिल स्पर्श पा श्री राम का,
जड़ अहिल्या बनी फिर नारी।

अधरों की छुअन पा श्री कृष्ण की,
जड़ बाँसुरी बजी सप्तम स्वर में।

प्यार की छुअन जब-जब मिली,
नाच उठा मन-मयूर वन में।

                                   डॉ0 मंजूश्री गर्ग

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