विज्ञान के विकास के साथ ही
समाज में नयी कुरीति ने जन्म ले लिया है. गर्भ में ही लिंग का परीक्षण होने की
सुविधा के साथ-साथ अधिकांशतः माँ-बाप गर्भपात करवा कर गर्भ में ही लड़कियों की
हत्या कर देते हैं जिससे लड़के-लड़कियों के अनुपात में लड़कियों की संख्या दिन-प्रतिदिन
कम होती जा रही है. इसी समसामयिक समस्या की अभिव्यक्ति कवि ने प्रस्तुत पंक्तियों
में की है-
यही जो बेटियाँ हैं ये ही आखिर कल की माँए हैं,
मिले मुश्किल से कल माँए न इतनी बेटियाँ कम हों।
कमलेश भट्ट ‘कमल’
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