अंधा प्रेम ही नहीं होता,
अंधा मोह ही नहीं होता,
अंध भक्ति भी होती है.
जैसे- गंगापुत्र देवव्रत ने
अंध पितृ भक्ति के कारण,
आजीवन विवाह न करने की
भीष्म प्रतिज्ञा ले ली, औ’
हस्तिनापुर का भविष्य ही
दाँव पर लगा दिया.
डॉ0 मंजूश्री
गर्ग
(जो प्रतिज्ञा या प्रण हमें
रसातल की ओर ले जाये उसे आजीवन निभा कर यश लेने से अच्छा है, समय के अनुकूल प्रतिज्ञा
या प्रण तोड़कर अपयश लिया जाये और परिवार, समाज, देश को रसातल की ओर ले जाने से
रोका जाये.)
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