हिन्दी साहित्य
Thursday, October 25, 2018
कलयुग ही है उर्ध्वमुखी,
पग रखता है सतयुग में।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment