हिन्दी साहित्य
Monday, October 22, 2018
जड़-चेतन की गाँठें वही सुलझन है भूल सुधारों की,
वह शीतलता है शान्तिमयी जीवन के उष्ण विचारों की।
जयशंकर प्रसाद
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