हिन्दी साहित्य
Wednesday, May 22, 2019
तुम्हें देखा तो
ऐसा लगा मानों,
मदिर यौवन की
मधुर शाख पर,
खिलें हों अनगिन
फूल संयम के।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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