हिन्दी साहित्य
Saturday, May 4, 2019
धूप पीकर मुस्कायें
गुलमोहर, अमलतास।
रात चाँदनी बिछायें
खिलकर बेला के फूल।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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