Monday, May 27, 2019




चाँदनी कहती- दीपक से
व्यर्थ ही तुम जलते हो
रोशन हैं राहें सारी
मेरी ही रोशनी से।

दीपक कहता- चाँदनी से
मैं तो जलता प्रीत निबाहने
बिन मेरे कैसे रोशन होंगी
राह पतंगे की।

                          डॉ. मंजूश्री गर्ग

No comments:

Post a Comment