फूलों से नित हँसना सीखो, भौंरों से नित गाना।
तरू की झुकी डालियों से नित, सीखो शीश झुकाना।।
सीख हवा के झोंको से लो, हिलना, जगत हिलाना।
दूध और पानी से सीखो, मिलना और मिलाना।।
श्रीनाथ सिंह
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