नील कमल की नीलिमा
औ’ पीताभ आभा पीताम्बर की।
रघुवंश प्रिय, धीर, वीर श्री राम
शत-शत कोटि नमन तुम्हें।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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