Wednesday, May 25, 2022


तेरी नजरों में सँवरते रहे हम

तेरी बाँहों में पिघलते रहे हम।

नित अस्तित्व अपना खोकर

तुझ में ही ढ़लते रहे हम।।


                   डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

  

No comments:

Post a Comment