17 सितंबर, 2022, विश्वकर्मा दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
विश्वकर्मा जी
डॉ. मंजूश्री गर्ग
विश्वकर्मा जी सृजन, निर्माण, वास्तुकला, औजार, शिल्पकला, मूर्तिकला एवम् वाहनों समेत समस्त सांसारिक वस्तुओं के अधिष्ठात्र देवता हैं।
प्रत्येक वर्ष 17 सितंबर को विश्वकर्मा जी दिवस मनाया जाता है। अधिकांशतः औधौगिक इकाइयों में इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। बंगाल में दुर्गा पूजा के अवकर पर भी विश्वकर्मा जी की मूर्ति स्थापित की जाती है। पंडाल में स्टेज पर बीच में दुर्गा जी की मूर्ति होती है और उनके दोनों तरफ सरस्वती जी, लक्ष्मी जी, गणेश जी और विश्वकर्मा जी की मूर्तियाँ होती हैं। कहीं-कहीं विश्वकर्मा दिवस पर भी विश्वकर्मा जी की मूर्ति स्थापित करके पूजा अर्चना की जाती है।
महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना(जो ब्रह्म विद्या जानने वाली थीं) का विवाह अष्टम् वसु महर्षि प्रभास से हुआ और उन्होंने सम्पूर्ण शिल्प विद्या के ज्ञाता विश्वकर्मा को जन्म दिया। सतयुग में विश्वकर्मा जी ने इन्द्र की नगरी स्वर्गलोक को बनाया। त्रेता युग में विश्वकर्मा जी ने लंका में स्वर्ण महल बनाया। द्वापर युग में विश्वकर्मा जी ने द्वारकापुरी का निर्माण किया। कलियुग के प्रारम्भ के पचास वर्ष पूर्व हस्तिनापुर और इन्द्रप्रस्थ का निर्माण किया। विश्वकर्मा जी ने ही जगन्नाथपुरी में जगन्नाथ मन्दिर व मन्दिर में स्थापित भगवान श्रीकृष्ण, सुभद्रा जी व बलराम जी की विशाल मूर्तियों का निर्माण किया।
विश्वकर्मा जी के तीन पुत्रियाँ थीं- ऋद्धि, सिद्धि व संज्ञा। ऋद्धि-सिद्धि का विवाह भगवान शिव और पार्वती जी के पुत्र गणेश जी से हुआ. संज्ञा का विवाह महर्षि कश्यप और देवी अदिति के पुत्र भगवान सूर्यनारायण से हुआ। इनसे यमराज, यमुना, कालिंदी और अश्विनी कुमारों का जन्म हुआ।
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