Tuesday, September 20, 2022

 

अक्षर तो केवल

गूँदी कच्ची मिट्टी हैं

हम उनसे

नई-नई मूर्तियाँ बनाते हैं

        गीत तभी

        होठों से होंठों तक जाते हैं।

                   माहेश्वर तिवारी


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