गीत
डॉ. मंजूश्री गर्ग
बहुत उदास है मन
पास आओ सनम.
प्यार की रूनझुन
गुमसुम है कब से
आ के नये सुर
साधो सनम.
मेंहदी की, महावर की
रंगत है फीकी
आ के नये रंग
भरो सनम.
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