हिन्दी साहित्य
Monday, December 26, 2022
तेरे मन ने जान ली, मेरे मन की बात।
क्या तुम्हें पाती लिक्खूँ, क्या करूँ मनुहार।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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