Thursday, December 8, 2022


दैहिक, दैविक भौतिक तापा।

रामराज नाहिं काहुहिं व्यापा।

नहिं दरिद्र कोई दुखी न दीना।

नहीं कोउ अबुध न लच्छन हीना।

सब निर्दंभ धर्मरत पूनी।

नर अरू नारी चतुर सब गुनी।

सब गुनाय पंडित सब ग्यानी।

सब कृतग्य नहिं कपट सयानी।

                         तुलसीदास



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