Saturday, December 24, 2022

 

रीति काल में हिन्दी कविता में अलंकारों का बहुतायत से प्रयोग किया जाता था, इसी भावना को कवि ने प्रस्तुत पंक्तियों में अभिव्यक्त किया है-

जदपि सुजाति सुलच्छनी, सुबरन सरस सुवृत्त।

भूषन बिन न विराजहीं, कविता वनिता मित्त।।

 

                                 केशवदास


No comments:

Post a Comment