Friday, December 23, 2022


नाम मिटे तो ऐसे जैसे नदी सागर हो गयी।

यश ढ़ले तो ऐसे जैसे चाँद छिपे औ सूरज निकले।।


                         डॉ. मंजूश्री गर्ग

  

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