हिन्दी साहित्य
Sunday, April 21, 2024
रेत पर लिखा होता नाम,
आँसूओं में बह गया होता।
पत्थर का दिल है साहेब
!
मिटेगा कैसे
?
डॉ. मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment