Thursday, April 25, 2024


खामोशियों में छिपी मुखरता को कभी सुनना तुम।

मुस्कुराहटों में छिपी उदासियों को महसूस करना।

जिंदगी जो जी रहे हैं वही नहीं है जिंदगी, छिपी है

जिंदगी में भी जिंदगानी कोई, महसूस करना।

 

                  डॉ. मंजूश्री गर्ग 

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