ये दर्द,
ये चुभन,
ये बेचैनी।
सब दोस्त
हैं अपने।
भूलकर भी,
भूलना चाहें
तुम्हें तो;
भूल नहीं
पायेंगे हम।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment