Wednesday, April 24, 2019




रूप-विज्ञान

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

जब कोई सार्थक शब्द वाक्य में प्रयोग होने के योग्य हो जाता है, तो उसे पद कहते हैं. पद को रूप भी कहा जाता है. इन्हीं रूपों के वैज्ञानिक विश्लेषण को रूप-विज्ञान (Morphology) कहा जाता है.

पद
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अर्थ तत्व                                         सम्बन्ध तत्व

सभी भाषाओं की रूप धारा अपनी-अपनी होती है. अर्थ तत्व और सम्बन्ध तत्व के परस्पर सम्बन्ध को बताने वाले कुछ रूप निम्नलिखित हैं—

1.     स्वतन्त्र शब्द-
स्वतन्त्र शब्द अर्थ तत्व और सम्बन्ध तत्व से जुड़े न होकर पृथक होते है. जैसे- हिन्दी में ने, को, से, आदि और अंग्रेजी में in, to, on, आदि.

    2.प्रत्यय रूप-
     क. आदि प्रत्यय रूप- (Prifix)

आदि प्रत्यय रूप शब्द के आरम्भ में लगते हैं.हिन्दी में इन्हें उपसर्ग भी कहते हैं. जैसे-हिन्दी में उप, अध, आदि और अंग्रेजी में de, re, un, आदि.

     ख. मध्य प्रत्यय रूप-(Infix)

मध्य प्रत्यय रूप शब्द के मध्य में आता है. जैसे- मुंड़ा भाषा में दल शब्द है जिसका अर्थ है मारना. मध्य में प्रत्यय लगने से दपल शब्द बना जिसका अर्थ है परस्पर मारना.

ग. अन्त प्रत्यय रूप-( Suffix)

अन्त प्रत्यय रूप शब्द के अन्त में आता है. जैसे- हिन्दी के ना, ती, ता, ते, आदि और अंग्रेजी के ly, ness, tion, आदि.

3.आन्तरिक परिवर्तन रूप-
अर्थ तत्व में विद्यमान ध्वनि या ध्वनि गुण के परिवर्तन को आन्तरिक परिवर्तन कहते हैं. जैसे- संस्कृत में अभ्यंतर शब्द से आभ्यंतर शब्द और अंग्रेजी में sing, sang, sung, इसी प्रकार के रूप हैं.

4.अभावात्मक शब्द-
अर्थ तत्व में किसी प्रकार का परिवर्तन न होने पर भी सम्बन्ध तत्व का बोध होता है जैसे- हिंदी में राम घर जाता है वाक्य में राम और घर में कोई अन्तर नहीं है फिर भी राम कर्त्ता है और घर कर्म. ऐसे ही अंग्रेजी में sheep शब्द एकवचन और बहुवचन दोनों के लिये प्रयुक्त होता है.

5. शब्द स्थान रूप-
वाक्य में शब्द के स्थान से ही सम्बन्ध तत्व का बोध होता है जैसे-
1.     John killed a man.
A man killed John.

2. मैं कॉलेज जाता हूँ.
कॉलेज अच्छा स्थान है.

भाषा विज्ञान व्याकरणिक रूपों का ऐतिहासिक विवेचन और वर्णात्मक विश्लेषण करता है. एक से अधिक भाषाओं की तुलना करते समय रूपों का तुलनात्मक अध्ययन भी किया जाता है.




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