Monday, April 1, 2019



एक सुभान के आनन पै कुरबान जहाँ लगि रूप जहाँ को।
कैयो सतक्रतु की पदवी लुटिए लखि कै मुसकाहट ताको।
सोक जरा गुजरा न जहाँ कवि बोधा जहाँ उजरा न तहाँ को।
जान मिले तो जहान मिलै, नहिं जान मिलै तो जहान कहाँ कौ।

                                    बोधा

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