हिन्दी साहित्य
Thursday, April 11, 2019
प्रीत की रूनझुन सी पायल बँधी जिंदगी से,
मुस्कुराने लगी सुबह, गुनगुनाने लगी रात।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment