हिन्दी साहित्य
Wednesday, April 17, 2019
माना कि, रात को तारे नहीं गिनते,
पर, क्या तुम्हें प्यार नहीं करते
?
तुम पास रहो या दूर रहो
,
नजरों में तुम ही तुम रहते हो।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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