हिन्दी साहित्य
Tuesday, April 9, 2019
मैं जुगनू हूँ अपनी ही रोशनी से जगमगाता हूँ।
उधारी रोशनी नहीं ली सूरज से तारों की तरह।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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