हिन्दी साहित्य
Wednesday, July 10, 2024
‘
पर
‘
हैं पर उड़ने की अभिलाषा मन में
पिंजरे से तकते हैं परिंदे आकाश को।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment