Friday, July 26, 2024


ओस-बूँद कहती है; लिख दूँ

नव-गुलाब पर मन की बात।

कवि कहता है: मैं भी लिख दूँ

प्रिय शब्दों में मन की बात।

ओस-बूँद लिख सकी नहीं कुछ

नव-गुलाब हो गया मलीन।

पर कवि ने लिख दिया ओस से

नव-गुलाब पर काव्य नवीन।

                     केदारनाथ अग्रवाल 

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