आँधियों में दीपक की लौ को देखो।
बारिशों में नदी के वेग को देखो।।
उछाल के देखो गमों की सौगातें।
व्यक्तित्व में निखार फिर और देखो।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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