यादों के समन्दर में, यादों की नावें,
यादों की नावों में, यादें सवार,
दूर क्षितिज तक, नजरें पहुँचें जहाँ तक,
दिखती हैं यादें ही यादें हर तरफ।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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