सुबह-सबेरे आशा की किरण है कहती
बरसेंगे आज उम्मीदों के बादल।
दिन सारा तेज धूप में है निकल जाता
शाम ढ़ले फिर छा जाते उदासी के बादल।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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