Wednesday, July 24, 2024


                                    पावस ऋतु वर्णन-

राजै रसमै री तैसी बरखा समै री चढ़ी,

चंचला नचै री चकचौंध कौंध वारै री।

व्रती व्रत हारै हिए परत फुहारैं,

कछु छीरैं कछु धारैं जलधार जलधारैं री।

भनत कविंद कुंजभौन पौन सौरभ सों.

काके न कँपाय प्रान परहथ पारै री ?

काम कंदुका से फूल डोलि डोलि डारै, मन

और किए डारै ये कदंबन की डारै री।

                              कवींद्र 

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