Saturday, August 31, 2024

 

जब कोई व्यक्ति किसी कारणवश अपने परिवार, अपने समाज या अपने देश के साथ विशवासघात करता है तो उसका अन्तर्मन उसे अन्दर ही अन्दर धिक्कारता रहता है। इसी संवेदना की अभिव्यक्ति कवि ने मानसिंह के माध्यम से की है जब मानसिंह राजपूतों की आन के विरूद्ध दुश्मन मुगल सम्राट अकबर से हाथ मिला लेता है-

 

अहो जाति को तिलांजलि दे

हुये भार हम भू के।

कहते ही यह ढ़ुलक गये

दो-चार बूँद आँसू के।

 

            श्याम नारायण पाण्डे

 

Friday, August 30, 2024


नित-नूतन

डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

जब भी कोई चित्र आँकते,

रंगों में भाव नहीं उतरते।

जब भी भाव शब्दों में बाँधते

मन के भाव नहीं छंद बनते।

भावों के परिधानों की अपूर्णता

पहनती नित-नूतन परिधान।

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Thursday, August 29, 2024


ऋतु-चक्र

डॉ. मंजूश्री गर्ग 

सर्दी में सर्दी पड़े, गर्मी में गर्मी.

तभी तो ऋतु-चक्र चलेगा,

सहज जीवन चक्र चलेगा.

बर्फ गिरेगी, हवा चलेगी.

बर्फ पिघलेगी, नदी बहेंगी.

बादल बनेंगे, बादल बरसेंगे.

हर्षित होगी धरा सारी. 

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Wednesday, August 28, 2024


तन्हाई के गम में मिसरी घुली मधुर यादों की।

डूबे हैं अपनी चाह के नशे में दिन-रात हम।।

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, August 27, 2024


परम्परायें

डॉ. मंजूश्री गर्ग 

परम्परायें बेड़ियाँ नहीं

पथ प्रदर्शक हैं हमारी

धरोहर हैं संस्कृति की।

बाधक गर बने प्रगति-पथ में

तोड़नी पड़ती हैं कभी-कभी।

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Monday, August 26, 2024



26 अगस्त, 2024, भादों मास, कृष्णपक्ष, अष्टमी तिथि श्री कृष्ण जन्मोत्सव 

की

हार्दिक शुभकामनायें 

Sunday, August 25, 2024

 


ये किसने!

 

ये किसने!

सिलेटी रंग की स्लेट पर

सुनहरे आखर लिख डाले।

जगमगाने  लगे   तारे,

महकने लगी  रात-रानी,

मुस्कुराने   लगी  रात।

            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Saturday, August 24, 2024


प्यार की छुअन जब-जब मिली,

 डॉ. मंजूश्री गर्ग

स्नेहिल स्पर्श पा श्री राम का,

जड़ अहिल्या बनी फिर नारी।

 

अधरों की छुअन पा श्री कृष्ण की,

जड़ बाँसुरी बजी सप्तम स्वर में।

 

प्यार की छुअन जब-जब मिली,

नाच उठा मन-मयूर वन में।

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Friday, August 23, 2024


एक पल

 डॉ. मंजूश्री गर्ग

एक पल की उड़ान क्या होती है?

पिंजरे में कैद पक्षी से पूछो!

 

जल की शीतलता क्या होती है?

जल विहिन मछली से पूछो!

 

मिलन का एक पल क्या होता है?

विरह में डूबे प्रेमी से पूछो!

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Thursday, August 22, 2024


23 अगस्त, 2024 स्पेस दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

गौरव का क्षण

23 अगस्त, 2023 को भारत के चन्द्रयान-3 ने चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रख भारत ही नहीं, विश्व को गौरवान्वित किया है। जो भी व्यक्ति इस पल का साक्षी बना है उसे बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनायें

 

 

चन्द्रयान-उत्सव

आज मोदी जी ने 26 अगस्त, 2023 को प्रातः काल इसरो कमांड सेंटर, बैंगलुरू पहुँचकर इसरो के सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी व देश को नया नारा दिया

जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान व जय अनुसंधान

23 अगस्त को देश में स्पेस दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की

 

चन्द्रयान-3 ने जिस जगह चन्द्रमा पर लैंडिंग की उस स्थान को नाम दिया

शिव-शक्ति

और

चन्द्रयान-2 की जिस जगह असफल लैंडिंग हुई थी और वैज्ञानिकों को

चन्द्रयान-3 को सफल बनाने की प्रेरणा दी थी उस स्थान को नाम दिया

तिरंगा

 

 

  

 

आ जाओ सनम!


    डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

आ जाओ सनम!

महावर कर रही इंतजार,

पायल की छम-छम रूठी है।

 

आ जाओ सनम!

मेंहदी कर रही इंतजार,

कंगन की खन-खन रूठी है।

 

आ जाओ सनम!

बिंदिया कर रही इंतजार,

अधरों की मुस्कान रूठी है।

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Wednesday, August 21, 2024

 

नींव के पत्थर

डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

हर कोई बेताब मीनार बनने को

नींव के पत्थर कहीं पाये नहीं जाते।

आखिर क्यूँ?

क्योंकि भूल गये हम

सदियों पुरानी परम्परा

नींव रखने की।

 

नींव के प्रथम पत्थर को, कलावे से बाँधना

साथ में हल्दी की गाँठ, साबुत सुपारी का रखना।

करना उससे प्रार्थना कि दे मजबूती मीनार को।

लड्डुओं का भोग लगाना और मित्र-परिवार में बाँटना।

मीनार के हर पत्थर से ज्यादा देना सम्मान

नींव के पत्थर को।

 

थोड़ा सा पाकर सम्मान नींव के पत्थर

अँधेरे में गुम रहकर भी सदियों तक

थामें रहते हैं मीनार को औ देते हैं स्थिरता।

भूकम्प के झटके हों या झंझा, तूफान

मीनार से पहले सहते हैं

नींव के पत्थर।

 

 

 

 

 

 

 


Tuesday, August 20, 2024

 

 क्योंकि मैं बीज हूँ

क्योंकि मैं बीज हूँ

शिखर पर रहकर भी

कठोर आवरण में रहता हूँ.

समय आने पर, कहीं दूर

भूमि में बो दिया जाऊँगा

अंकुरित होने के लिये.

पुरातनता के संस्कार लिये

नयी हवा, पानी, मिट्टी में पनपने के लिये.

उजाला मुझे तब भी नहीं मिलेगा

जो मुझसे उष्मा पाकर

आयेंगे बाहर, वो अंकुर होंगे.

पल्लव होंगे, तने होंगे, फूल होंगे

और होंगे फल, लेकिन जब मेरा प्रतिरुप

बीज आयेगा; तो फिर वही कठोर आवरण में------------

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Monday, August 19, 2024


सौंप दी जब जीवन-डोर तुम्हारे हाथ कान्हा!

किसी और से क्यों उम्मीद रखें हम। 


        डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, August 18, 2024

 


स्नेह और प्यार के अटूट बन्धन राखी के पावन पर्व पर आप सभी

को 

हार्दिक शुभकामनायें

19 अगस्त, 2024



Saturday, August 17, 2024


सच की दहलीज पर जब झूठ दम तोड़ेगा।

दिशायें जगमगायेंगी सच पुरजोर मुस्कुरायेगा।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग

  

Friday, August 16, 2024


एक बार आ जाओ कान्हा!

डॉ. मंजूश्री गर्ग 

एक बार आ जाओ कान्हा!

बीहड़ वन में खो गये हैं हम।

अँधेरे में गुम हैं राहें सभी

आ के उजाला दिखा जाओ कान्हा!

एक बार आ जाओ कान्हा!

 

सौंप दी जीवन-डोर तुम्हारे हाथ

किसी और से क्यों उम्मीद रखें हम।

किस राह पर है चलना हमें

आ के हमें बता जाओ कान्हा!

एक बार आ जाओ कान्हा!

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Thursday, August 15, 2024

 


प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने अगले जन्म में प्रभु से किसी ना किसी तरह सामीप्य बनाये रखने की कामना की है-

मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।

जौ पसु हौं तो कहा बस मेरौं चरौं नित नंद की धेनु मँझारन।।

पाहन हौं तो वही गिरि को जो धरयौ कर छत्र पुरन्दर धारन।

जो खग हौं बसेरो करौं मिल कालिन्दी-कूल-कदम्ब की डारन।।

                                             रसखान

Wednesday, August 14, 2024


तीन रंगों में रंगा है भारत

घर-घर तिरंगा लहराये।

 

आकाश तले केसरिया बाना,

श्वेत रंग संदेश शांति का,

हरित वर्ण हरितिमा दर्शाता।

हर दिल की धड़कन है झंड़ा,

हर घर की शान है तिरंगा।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 



15 अगस्त, 2024 स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

नारंगी, सफेद, हरा

तीन रंगों में रंगा है भारत। 

Tuesday, August 13, 2024


मानिनी! रूठी रहो चाहें, पर रहो साथ ही।

रूठने का हक है तुम्हें, तो मनाने का हमें भी।। 


        डॉ. मंजूश्री गर्ग

Monday, August 12, 2024


फिर किसी ने की है शरारात, हवाओं में घोल दी है शराब।

भौंरों  की  बात  और है, फूल भी बहक रहे हैं आज।

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, August 11, 2024


आओ! दीपों की सरगम पे नवगीत रचें।

स्वर्णिण दिन और मधुरिम रात लिखें।।

                  डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, August 10, 2024

 

 मैं, मेरा, हमारा’…

डॉ. मंजूश्री गर्ग

मैं, मेरा, हमारा, ये शब्द नहीं हैं,

इनमें समाया है, हमारा पूरा जीवन।

हमारा व्यक्तित्व, हमारा कृतित्व

हमारे रिश्ते, हमारा प्यार,

हमारा प्यार जो दिन-प्रतिदिन गहरा होता जाता है

और हमारे पूरे जीवन को अपनी लातिमा से भर देता है,

अपनी प्यारी सी खुशबू से महका देता है जीवन।

 

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Friday, August 9, 2024


यूँ ही नहीं महकती हैं दिल की क्यारियाँ,

जरूर तेरी आवाजाही रही होगी।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, August 8, 2024


टूट कर बिखरना ही नहीं, किस्मत हम फूलों की,

पलभर मुस्कुरायें तो, सदियां महकेंगी हमसे।

                  डॉ. मंजूश्री गर्ग          

Wednesday, August 7, 2024


कभी मुस्कुराया, कभी गुनगुनाया।

इस तरह आँसुओं को बहलाया।।

                        डॉ. मंजूश्री गर्ग 


स्वार्थों के मरूस्थल में खो गयी है जिन्दगी

रेत जैसी भुरभुरी सी हो गयी है जिन्दगी।

                                -गुलशन मदान

  

Monday, August 5, 2024


गुरू तो सिर्फ राह दिखा सकता है तुम्हें, यदि

मंजिल पानी है, तो चलना स्वयं ही होगा।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, August 4, 2024

 

जब क्रौंच-वध से वाल्मीकि जी के ह्रदय में गहन दुःख की अनुभूति हुई थी जिसके परिणाम स्वरूप साहित्य का प्रथम छंद* सहसा ही वाल्मीकि जी के मुख से निकला था उसी का वर्णन कवि ने प्रस्तुत पंक्तियों में किया है-

वस्तुतः छन्द यह आदि छन्द

लौकिक छन्दों में प्रथम श्लोक।

अब तक न हुई रचना ऐसी

परिचित इससे क्या नहीं लोक।

 

वैदिक छन्दों में ही अब तक

अभिव्यक्त भावना होती थी

उन चिर-परिचित नीड़ों में ही

कल्पना थकी-सी सोती थी।

          द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी

 

*मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम शाश्वती समा।

यत्क्रौंच मिथुनादेकम् अवधी काममोहितम्।।