Friday, August 16, 2024


एक बार आ जाओ कान्हा!

डॉ. मंजूश्री गर्ग 

एक बार आ जाओ कान्हा!

बीहड़ वन में खो गये हैं हम।

अँधेरे में गुम हैं राहें सभी

आ के उजाला दिखा जाओ कान्हा!

एक बार आ जाओ कान्हा!

 

सौंप दी जीवन-डोर तुम्हारे हाथ

किसी और से क्यों उम्मीद रखें हम।

किस राह पर है चलना हमें

आ के हमें बता जाओ कान्हा!

एक बार आ जाओ कान्हा!

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