एक बार आ जाओ कान्हा!
डॉ. मंजूश्री गर्ग
एक बार आ जाओ कान्हा!
बीहड़ वन में खो गये हैं हम।
अँधेरे में गुम हैं राहें सभी
आ के उजाला दिखा जाओ कान्हा!
एक बार आ जाओ कान्हा!
सौंप दी जीवन-डोर तुम्हारे हाथ
किसी और से क्यों उम्मीद रखें हम।
किस राह पर है चलना हमें
आ के हमें बता जाओ कान्हा!
एक बार आ जाओ कान्हा!
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