Friday, August 30, 2024


नित-नूतन

डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

जब भी कोई चित्र आँकते,

रंगों में भाव नहीं उतरते।

जब भी भाव शब्दों में बाँधते

मन के भाव नहीं छंद बनते।

भावों के परिधानों की अपूर्णता

पहनती नित-नूतन परिधान।

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