परम्परायें
डॉ. मंजूश्री गर्ग
परम्परायें बेड़ियाँ नहीं
पथ प्रदर्शक हैं हमारी
धरोहर हैं संस्कृति की।
बाधक ‘गर बने प्रगति-पथ में
तोड़नी पड़ती हैं कभी-कभी।
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