अमरकथा
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
एक बार पार्वती जी ने शिवजी से ‘अमरकथा’ सुनाने का आग्रह किया, तब
शिवजी ने पार्वतीजी से कहा कि “जो भी प्राणी अमरकथा को सुन लेगा, वह अमर हो जायेगा, जो कि सृष्टि के नियम के
विपरीत है. अतः मैं तुम्हें ऐसे स्थान पर अमरकथा सुनाऊँगा, जहाँ कोई और प्राणी न
हो.” यह कहकर शिवजी ने
पार्वतीजी को साथ लेकर ‘अमरकथा गुफा’ की ओर प्रस्थान किया. सबसे पहले अपनी सवारी बैल का साथ छोड़ा. जिस स्थान पर
बैल छोड़े, वह बैलगाँव कहलाया. आज वही स्थान पहलगाँव के नाम से जाना जाता है. और
आगे जाकर अपने मस्तक से चंद्रमा उतारा, यह स्थान चंदनबाड़ी के नाम से जाना जाता
है. थोड़ी दूर और आगे जाकर अपने गले से शेषनाग उतार कर रखे. यह स्थान शेषनाग के
नाम से जाना जाता है. ‘अमरकथा गुफा’ में पहुँचकर शिवजी ने पार्वती को अमरकथा सुनाई, जिसे एक कबूतर के जोड़े ने भी
सुन लिया. जिससे वह भी अमर हो गया.
No comments:
Post a Comment