हिन्दी साहित्य
Sunday, May 7, 2017
जिंदगी के शोख सपने
फैले थे मन पटल पर
‘
सोख्ते
’*
की तरह सोख लिये
जिंदगी की कड़ी धूप ने.
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
*
सोख्ता-
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