हिन्दी साहित्य
Monday, May 8, 2017
किसी से कुछ ना कहेंगे
दर्द सीने में छुपा लेंगे
पर, तुम्हीं कहो,
तुम्हें देख,
कैसे आँसू पी जायेंगे.
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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