आरोग्य
य़ह शरीर पंचतत्वों का बना है- पृथ्वी, जल, तेज(अग्नि), वायु और आकाश. निचले
तत्व से ऊपर का तत्व दूषित होता है. जैसे- जल में पृथ्वी(मिट्टी) मिले तो जल कीचड़
युक्त हो जाता है. तेज(अग्नि) में जल डाले तो धुआं पैदा होता है. यही बात जगत के
सभी पदार्थों के साथ समझनी चाहिये.
नीचे का तत्व ऊपर के तत्व से शुद्ध होता है. जैसे- गंगाजल उबालने से शुद्ध
होता है, अग्नि वायु से शुद्ध होती है अर्थात् अग्नि बिना वायु के नहीं जलती.
इसी प्रकार वायु आकाश से शुद्ध होती है अर्थात्
बंद स्थान की वायु दूषित और खुले स्थान की वायु शुद्ध होती है. इन बातों का विचार
करके साधक को इन्हें जीवन में लाना चाहिये.
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अपने अधिकारों के लिये संघर्ष करिये. यदि आपके
कदम सही हैं, तो आपके विरोधी भी आपको सहयोग देंगे.
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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