जामुन प्रायः जामुन, राजमन,
काला जामुन, जमाली, ब्लैकबैरी, आदि नामों से जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम
सिजगियम क्यूमिनी(syzgium cumini) है। जामुन का
फल बहुत ही स्वादिष्ट, मीठा व स्वास्थयवर्धक होता है। इसकी प्रकृति अम्लीय व कसैली
होती है, इसीलिये इसे नमक के साथ खाया जाता है। इसमें ग्लूकोज और फ्रक्टोज दो
मुख्य स्रोत होते हैं। फलों में खनिजों की मात्रा अधिक होती है।
जामुन का पेड़ लगभग 15 मी.
से 20 मी. ऊँचा होता है। ऊँचाई के अनुपात में तने का व्यास कम ही होता है लेकिन
तना मजबूत होता है। आँधियों में भी जामुन का पेड़ आसानी से गिरता नहीं है. जामुन
के पेड़ की लकड़ी पानी में सड़ती भी नहीं है। जामुन की पत्तियाँ 5-6 इंच लंबी व
1.5-2 इंच चौड़ी होती हैं। पत्तियों की ऊपरी सतह बहुत ही चमकीली स्निग्ध होती है। जामुन
की पत्तियों की विशेषता है कि ये वृंत पर प्रायः य़ुग्म रूप में निकलती हैं जो
देखने में बहुत ही सुन्दर लगती हैं। जामुन की पत्तियाँ भी आम की पत्तियों की तरह
वर्षभर हरी-भरी रहती हैं।
जामुन के पेड़ पर अप्रैल-मई
के महीने में बौर आना शुरू हो जाता है और जून-जुलाई के महीने में फल आते हैं। फल
जामुनी रंग के 1-1.5 इंच लंबे व लगभग .5-1 इंच व्यास के होते हैं। वर्षा अधिक होने
पर जामुन के फल का उत्पादन भी अधिक होता है। जामुन का फल गुच्छे के रूप में लगता
है और अधिक पकने पर जमीन पर गिरने लगते हैं। फल वर्ष में लगभग दो महीने ही आता है
लेकिन इसका लाभ हम पूरे वर्ष उठा सकते हैं। जामुन के फल की गुठली भी बहुत गुणकारी
होती है। इसे सुखाकर, पीसकर इसका प्रयोग हम सालभर कर सकते हैं।
जामुन में आयरन, विटामिन
बी, कैरोटिन, मैग्नीशियम और फाइबर होते हैं। मधुमेह(डायबिटिज) के रोगियों के लिये
तो यह फल बहुत ही लाभकारी है।
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