Sunday, May 26, 2024


धरती की प्यास

कब बुझी

बिन बादल।

नदी की प्यास

कब बुझी

बिन सागर।

अपनी-अपनी

प्यास सबकी।

अपनी-अपनी

मंजिल सबकी।

 

      डॉ. मंजूश्री गर्ग

  

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