केसर
डॉ. मंजूश्री गर्ग
केसर एक अनमोल
वनस्पति है. उर्दू भाषा में इसे ‘जाफरान’ और अंग्रेजी भाषा में ‘सैफरन’ कहते हैं. विश्व में केसर
उगाने वाले प्रमुख देश हैं- फ्रांस, स्पेन, भारत, ईरान, इटली, ग्रीस, जर्मनी, रूस,
आस्ट्रेलिया एवम् स्विजरलैंड. विश्व का 80 प्रतिशत केसर स्पेन और ईरान में उगाया
जाता है. पहले भारत के कश्मीर राज्य में भी केसर उगाया जाता था, किंतु आतंकी
गतिविधियों के कारण केसर की खेती बहुत अधिक प्रभावित हुई है. आजकल उत्तर प्रदेश के
चौबटिया जिले में केसर उगाने के प्रयास किये जा रहे हैं.
केसर को उगाने
के लिये समुद्रतल से लगभग 2000 मी0 ऊँची पहाड़ी क्षेत्र एवम् शीतोष्ण सूखी जलवायु
की आवश्यकता होती है. केसर का पौधा कली निकलने से पहले बर्फ और बारिश दोनों
बर्दाश्त कर लेता है लेकिन कलियों के निकलने के बाद बर्फ या बारिश होने पर पूरी
फसल बेकार हो जाती है.
केसर के
कंद(बल्ब) अगस्त माह में बोये जाते हैं, जो दो-तीन महीने बाद नवंबर-दिसंबर महीने
में खिलने शुरू हो जाते हैं. केसर के फूलों का रंग बैंगनी, नीला एवम् सफेद होता
है. इसके भीतर तीन लाल या नारंगी रंग के मादा भाग पाये जाते हैं. इस मादा भाग को
वर्तिका या वर्तिकाग्र कहते हैं, यही केसर कहलाते हैं. प्रत्येक फूल में केवल तीन केसर
ही पाये जाते हैं. लाल-नारंगी रंग के आग की तरह दमकते हुये केसर को संस्कृत में ‘अग्निशिखा’ नाम से भी
जाना जाता है. इन फूलों की इतनी तेज खुशबू होती है कि आस पास का क्षेत्र महक उठता
है.
केसर को
निकालने के लिये पहले फूलों को चुनकर किसी छायादार स्थान में बिछा देते हैं. सूख
जाने पर फूलों से मादा अंग यानि केसर को अलग कर देते हैं. रंग एवम् आकार के अऩुसार
इन्हें-मागरा, लच्छी, गुच्छी, आदि श्रेणियों में बाँटते हैं. 1,50,000 फूलों से एक
किलो सूखा केसर प्राप्त होता है.
केसर खाने में
कड़वा होता है लेकिन खुशबू व औषधीय गुणों के कारण विभिन्न व्यंजनों एवम् पकवानों
में डाला जाता है. गर्म पानी में डालने पर यह गहरा पीला रंग देता है.
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