बरन-बरन तरू फूले उपवन का,
सोई चतुरंग संग दल लहियतु।
बंदी जिमि बोलत विरद वीर कोकिल हैं,
गुंजत मधुप गान गुन गहियतु है।
आवे आस-पास पुहुपन की सुवास सोई,
सोने के सुगंध माझ सने रहियतु है।
सोभा को समाज सेनापति सुख साज आजु,
आवत बसंत रितुराज कहियतु है।
सेनापति
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