हाइकु
डॉ. मंजूश्री गर्ग
गूँजी हवायें
झुरमुट की ओट
बोली कोयल.
1.
चढ हिंडोले
मुस्कायी लतायें
पा के सहारे.
2.
मनमोहक
कितने प्यारे रंग
शाम ढलते.
3.
शाम हुई है!
औ’ खिलेगी
चांदनी
रात होने दो.
4.
नदी की धारा
सिंचित करे कूल
सहज बह.
5.
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