हाइकु
डॉ. मंजूश्री गर्ग
सुबह-शाम
प्रकृति-संग बीते
पल अमोल.
1.
मादक गंध
मधुमालती संग
महका मन.
2.
चिडियाँ जागीं
चहकी डाली सारी
हुआ सबेरा.
3.
पलाश-वन
दहके अंगारे से
फागुन-मास.
4.
फिर से खिले
गुडहल के फूल
उषा काल में.
5.
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