संग-संग तेरे मैं
जल तुम, धारा बन
बहूँ संग-संग तेरे मैं।
पवन तुम, सुगंध बन
चलूँ संग-संग तेरे मैं।
दीप तुम, बाती बन
जलूँ संग-संग तेरे मैं।
आओ प्रिये! अधूरी है प्रिया
तुम्हारे बिन जीवन में।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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